वात रोग(Arthritis) में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए?

वात रोग

आयुर्वेद में, वात रोग को शरीर के दोषों, विशेष रूप से वात दोष, में असंतुलन के रूप में देखा जाता है, जो गति को नियंत्रित करता है और सूखापन, ठंडक और अनियमितता से जुड़ा होता है। इसलिए, आहार संबंधी सिफारिशों का उद्देश्य वात दोष को शांत करना और शरीर में संतुलन को बढ़ावा देना है। आयुर्वेद के अनुसार वात रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, इस पर एक सामान्य दिशानिर्देश यहां दिया गया है:

क्या खाना चाहिए:

  1. गर्म, पौष्टिक भोजन: ठंडे या कच्चे खाद्य पदार्थों के बजाय गर्म, पका हुआ भोजन चुनें। सूप, स्टू और पकी हुई सब्जियाँ आदर्श हैं।
  2. नम और तैलीय खाद्य पदार्थ: ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जो प्राकृतिक रूप से तैलीय या नम हों, जैसे कि एवोकाडो, नट्स, बीज, घी (स्पष्ट मक्खन), और नारियल का तेल।
  3. साबुत अनाज: क्विनोआ, ब्राउन चावल, जई और जौ जैसे साबुत अनाज का चयन करें, जो निरंतर ऊर्जा प्रदान करते हैं और वात दोष को शांत करने में मदद करते हैं।
  4. पकी हुई सब्जियाँ: अपने आहार में विभिन्न प्रकार की पकी हुई सब्जियाँ शामिल करें, शकरकंद, गाजर और चुकंदर जैसी जड़ वाली सब्जियों के साथ-साथ पालक और केल जैसी पत्तेदार सब्जियों पर ध्यान दें।
  5. मसाले: अपने खाना पकाने में अदरक, हल्दी, जीरा, धनिया और दालचीनी जैसे गर्म मसालों का उपयोग करें। इन मसालों में सूजन-रोधी गुण होते हैं और पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं।
  6. हर्बल चाय: पाचन में सहायता करने और सूजन को कम करने के लिए अदरक, हल्दी, दालचीनी, या मुलेठी की जड़ से बनी हर्बल चाय पियें।
  7. स्वस्थ वसा: जैतून का तेल, अलसी के बीज, चिया बीज और सैल्मन और मैकेरल जैसी वसायुक्त मछली जैसे स्रोतों से मध्यम मात्रा में स्वस्थ वसा का सेवन करें।

क्या नहीं खाना चाहिए:

  1. ठंडे और कच्चे खाद्य पदार्थ: ठंडे या कच्चे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें, क्योंकि वे वात दोष को बढ़ा सकते हैं और जोड़ों में कठोरता और परेशानी बढ़ा सकते हैं।
  2. सूखे और हल्के खाद्य पदार्थ: पटाखे, चिप्स और पॉपकॉर्न जैसे सूखे और हल्के खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करें, क्योंकि ये शरीर में सूखापन बढ़ा सकते हैं।
  3. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, परिष्कृत शर्करा और कृत्रिम योजकों को सीमित या समाप्त करें, क्योंकि वे सूजन और जोड़ों के दर्द में योगदान कर सकते हैं।
  4. अत्यधिक कैफीन और अल्कोहल: कैफीनयुक्त पेय पदार्थों और अल्कोहल का सेवन कम करें, क्योंकि वे शरीर को निर्जलित कर सकते हैं और गठिया के लक्षणों को खराब कर सकते हैं।
  5. नाइटशेड सब्जियां: गठिया से पीड़ित कुछ लोगों को टमाटर, मिर्च, आलू और बैंगन जैसी नाइटशेड सब्जियों से परहेज करके राहत मिलती है, क्योंकि वे कुछ व्यक्तियों में सूजन में योगदान कर सकते हैं।
  6. भारी और पचाने में मुश्किल खाद्य पदार्थ: भारी, चिकना और तले हुए खाद्य पदार्थों के साथ-साथ ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें जिन्हें पचाना मुश्किल हो, क्योंकि वे पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकते हैं और वात दोष को बढ़ा सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेदिक सिफारिशें किसी व्यक्ति की प्रकृति (प्रकृति) और विशिष्ट असंतुलन के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने से आपकी विशिष्ट आवश्यकताओं और स्वास्थ्य स्थिति के अनुरूप व्यक्तिगत आहार संबंधी मार्गदर्शन मिल सकता है। इसके अतिरिक्त, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन तकनीक और मालिश (अभ्यंग) और हर्बल उपचार जैसे आयुर्वेदिक उपचारों को शामिल करने से भी वात रोग के लक्षणों को प्रबंधित करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

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About Dr. Ankurman Handique 45 Articles
A registered Ayurveda Practitioner. Loves to spread the knowledge of this Ancient Medical Science. He completed his degree BAMS(Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) from Govt. Ayurvedic College, Guwahati, Assam, India

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